*भारतीय एवं विश्व इतिहास में 06 सितंबर की प्रमुख घटनाएं*
*(आवाज टुडे न्यूज़)*
भारतीय एवं विश्व इतिहास में 06 सितंबर की प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं-
1776 - ग्वाडेलोप द्वीप में तूफान से छह हजार से अधिक लोगों की मौत।
1869 - पेंसिल्वेनिया के अवोंदेल में एक खदान में आग लगने से 110 लोग मरे।
1905 - अटलांटा जीवन बीमा कंपनी की शुरुआत।
1924 - इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी की हत्या का प्रयास विफल।
1929 - फिल्मकार यश जौहर का जन्म।
1939 - दक्षिण अफ्रीका ने नाजी जर्मनी पर युद्ध की घोषणा की।
1948 - जुलियाना नीदरलैंड की महारानी बनीं।
1952 - कनाडा टीवी की मॉन्ट्रियल में शुरुआत।
1968 - अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड को ब्रिटेन से आजादी मिली।
1986 - इस्तांबुल में यहूदी उपासना गृह में हमले में 23 लाेग मारे गए।
2012 -अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बने।
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बुधवार, 6 सितंबर 2017
गुरुवार, 30 मार्च 2017
भाजपा नेता गडकरी की चादर पहुची ख्वाजा के दर
अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का सालाना उर्स शुरू होने के साथ ही मंत्रियो की चादर आने का सिलसिला शुरू हो गया है। आज भाजपा नेता और केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश की गई। नागपुर से उनके निवास से आये दल ने चादर पेश कर मुल्क की खुशहाली और तरक्की के लिए दुआ मांगी।
बुधवार, 29 मार्च 2017
राज्यपाल की चादर ख्वाजा के दर की गई पेश
अजमेर में ख्वाजा हजरत मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर 805 वें उर्स के मौके पर आज राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की ओर से चादर पेश की गई। राज्यपाल के परिसहाय जय यादव व जनसम्पर्क अधिकारी डाॅ. लोकेश चन्द्र शर्मा ने मजार शरीफ पर राज्यपाल की चादर पेश की और प्रदेश में अमन चैन और खुशहाली की दुआ मांगी।
इससे एक दिन पहले जयपुर स्थित राजभवन में राज्यपाल कल्याण सिंह ने, सचिव श्रीमती श्रेया गुहा की मौजूदगी में दरगाह पर चढ़ाई जाने वाली चादर परिसहाय जय यादव व जनसम्पर्क अधिकारी डाॅ. लोकेश चन्द्र शर्मा को सौंपी थी।
सोमवार, 12 सितंबर 2016
दसवीं पास बैच रहे है अंग्रेजी दवाईयां
राजेन्द्र शर्मा आवाज़ टुडे अजमेर प्रदेश के अधिकांश मेडिकल स्टोर्स पर दसवीं पास व्यक्ति अंग्रेजी दवाईयां बेच रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर अंग्रेजी दवाईयों बेचते यह अयोग्य सेल्समैन न सिर्फ मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे है, वरन अनेक मेडिकल स्टोर्स पर तो नाबालिग लडक़े सेल्समैन बने बैठे है। ऐसा नहीं है कि सरेआम होते इस गोरखधंधे की जानकारी चिकित्सा महकमे को नहीं है लेकिन जब अधिकारियों की जेब गर्म हो जाती है तो मरीजों के स्वास्थ्य पर कौन ध्यान देता है? कारण कुछ भी हो, भुगतना मरीजों को पड़ रहा है।
प्रदेश की राजधानी जयपुर हो या मार्बल नगरी किशनगढ़, अजमेर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर, बीकानेर या कोई अन्य शहर या कस्बा, सभी जगह मेडिकल स्टोर्स पर बिना निर्धारित योग्यता के अनुभव हीन व कम पढ़े-लिखे युवा सेल्समैन बनकर मरीजों को दवाईयां बेच रहे है। अनुभवहीनता के कारण ऐसे सेल्समैन मरीजों को अनेक बार गलत दवाईयां पकड़ा देते है, जिससे मरीजों की जान पर बन आती है। अनेक मामलों में ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों व उनके परिजनों को तो भनक ही नहीं लगती कि मौत का कारण बीमारी था या गलत दवा।
प्रदेश के अधिकांश मेडिकल स्टोर्स पर सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ रही है लेकिन चिकित्सा महकमा कार्यवाही न कर मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ होने दे रहा है। ऐसे में मरीज व उसके परिजन शिकायत भी करे तो कहा। अब देखना है कि चिकित्सा महकमा कब दसवीं पास सेल्समेनों पर रोक लगाने संबंधि कार्रवाई कर मरीजों को राहत पहुंचाता है।
क्या है नियम :
मेडिकल स्टोर वह व्यक्ति खोल सकता है, जिसके पास नियमानुसार विज्ञान संकाय से संबंधित फार्मासिस्ट कोर्स (बी.फार्मा, डी.फार्मा, एम.फार्मा) की डिग्री या डिप्लोमा हो। उसके बाद ही चिकित्सा महकमे की ओर से उसे मेडिकल दवा बिक्री लाइसेंस दिया जाता है। लेकिन नियमों को दरकिनार कर अधिकांश मेडिकल स्टोर्स पैसों के दम पर किराए के लाइसेंसों पर चल रहे है। जब संचालक ही योग्यताधारी नहीं हो तो सेल्समेनों से क्या उम्मीद की जा सकती है।
महंगी दवाईयों की बिक्री :
मेडिकल स्टोर्स पर मरीजों व उनके परिजनों को लूटने का धंधा भी धडल्ले से चलता है, सेल्समेन व संचालक अधिकांश मामलों में मरीजों को सस्ती के स्थान पर महंगी दवाईयों ही देते है। साथ ही अनेक सेल्समेन तो मुद्रित मूल्य से अधिक राशि भी ले लेते है। रोगी के परिजन अक्सर जल्दी में होने के कारण इस ओर ध्यान ही नही दे पाते।
इसलिए रखते है
अयोग्य सेल्समैन :
मेडिकल स्टोर्स पर कार्य करने वाले सेल्समैन की निर्धारित योग्यता फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है लेकिन योग्यताधारी व्यक्ति कम वेतन पर नहीं मिल पाते, ऐसे में बिना योग्यता वाले व्यक्ति को अंग्रेजी दवाईयों के नाम का तजुर्बा होने की बात कहकर कम वेतन पर सेल्समेन बना दिया जाता है।
मंगलवार, 15 जुलाई 2014
मित्तल हॉस्पिटल में झड़ते बालो के लिए नि:शुल्क परामर्श शिविर सम्पन्न
मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर में रविवार 13 जुलाई को प्रात: 10 से 1 बजे तक झडते बालो के उपचार हेतु नि:शुल्क परामर्श शिविर का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में रोगियों ने परामर्श प्राप्त किया।
शिविर की जानकारी देते हुए हॉस्पिटल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल कुमार शर्मा ने बताया कि विगत दो-तीन दशकों में कम उम्र में बालों का झडऩा एक आम समस्या बन गया है।
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार वंशानुगतता तो इसका एक कारण है ही इसके अतिरिक्त बालों के झडऩे के अनेक कारण हैं जैसे-आकस्मिक, शारीरिक व भावनात्मक तनाव, गम्भीर संक्रमण, बड़ा ऑपरेशन, लम्बी बीमारी, किसी कारणवश अधिक रक्त का बह जाना, शिशुजन्म के पश्चात स्त्रियों में बालों का झउडऩा, भोजन की अनियमितता एवं खाद्य में प्रोटीन का अभाव, थॉयराइड व अन्य हार्मोन्स संबंधी बीमारियां, कुछ विशेष दवाओं के सेवन रेडियेशन थैरेपी इत्यादि से भी बाल झडऩे लगते हैं। शिविर में असमय बालों का गिरना, रुसी, सिर में खुजली, सोरायसिस एवं बालों से संबंधित संक्र्रमण आदि रोगों से ग्रसित रोगी बड़ी संख्या में आए।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हॉस्पिटल में वीडियोडर्मेटोस्कॉप मशीन की उपलब्धता होने के कारण बालों व त्वचा संबंधी रोगों की गहनतम जाँच की जा सकती है। वे जॉंचें जिनके लिए बायोप्सी की जाती है, उनकी जाँच भी इस मशीन द्वारा बिना चीरा लगाये की जा सकती है।
हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. दिलीप मित्तल ने बताया कि शीघ्र ही चर्म रोगों से संबंधित सर्जरी तथा बालों के प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में भी हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा योजना बनाई जा रही है।
बुधवार, 30 अप्रैल 2014
मित्तल हॉस्पिटल में चर्म रोग विशेषज्ञ की नियमित सेवाएं प्रारम्भ
अजमेर। मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर में चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल कुमार शर्मा ने अपनी नियमित सेवाएं प्रारम्भ कीं। एक सादा समारोह में हॉस्पिटल के निदेशक सुनील मित्तल ने बुके भेंट कर डॉ. शर्मा का स्वागत किया एवं हॉस्पिटल में उनके सुखद प्रवास की कामना की। इस अवसर पर हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.के.जैन ने डॉ. शर्मा का हॉस्पिटल के चिकित्सा विशेषज्ञों से परिचय कराते हुए कहा कि डॉ. शर्मा ने श्रीरामचंद्र मेडीकल कॉलेज, चेन्नई से चर्म, रति व कुष्ठ रोग में पोस्ट ग्रेजुएट की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् विगत तीन वर्र्षों तक देश के प्रतिष्ठित चर्म रोग संस्थान सीएमसी, वैलूर में चर्म रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कीं। श्री शर्मा को विभिन्न चर्म रोगों की सामान्य व लेजर सर्जरी में विशिष्ट प्रतिभा हासिल है। इसके अतिरिक्त आप त्वचा, बाल, नाखून आदि के संक्रमण एवं विभिन्न रोगों के उपचार में भी सिद्धहस्त हैं। शिशुओं के चर्म रोगों के उपचार में आपकी विशेष दक्षता एवं अभिरूचि है। शर्मा अत्यंत मेधावी विद्यार्थी एवं चिकित्सक हैं। एम.डी. की उपाधि प्राप्त करने के दौरान आपने इन्टरनेशनल डर्मेटोलोजी की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर डॉ. शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग एक दशक पूर्व अनेक चर्म रोग प्राणघातक माने जाते थे। विगत वर्षों में डर्मेटोलोजी के क्षेत्र में होने वाली प्रगति के कारण अब मॉलीक्यूलर लेवल पर उपचार की सुविधायें उपलब्ध हैं जिनसे अनेक चर्म रोगों जैसे पेमफीगर, सोरियासिस, सफेद दाग, एसएलई आदि का उपचार संभव हो सका है। डॉ. शर्मा ने हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर्स व चर्म रोग विभाग के उपकरणों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में हॉस्पिटल के निदेशक सुनील मित्तल, डॉ. दिलीप मित्तल, मनोज मित्तल सहित हॉस्पिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चिकित्साधीक्षक, चिकित्सक एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।
सोमवार, 4 फ़रवरी 2013
सफलता का आईना हो आपका रिज्यू मे
आज के प्रतिस्पर्धा भरे माहौल में आपको दूसरों से अलग बनाती हैं
आपकी सफलताएं। यहां हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, ताकि आपके रिज्यूमे में
आपकी सफलताएं भली-भांति प्रदर्शित हों। जहां प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा बढ़
चुकी है, वहां केवल योग्यता और कार्यानुभव के दम पर अच्छी नौकरी पाना आसान
नहीं है। ऐसे में आपकी छोटी-बड़ी सफलताएं ही हैं, जो आपको अन्य लोगों से
आगे रखती हैं। आप किसी कंपनी के लिए कितने तरीके से लाभदायी सिद्ध हो सकते
हैं, इस बात को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे बताने के लिए जरूरी
है कि आपका रिज्यूमे बेहतरीन तरीके से तैयार किया जाए, जो आपको साधारण
आवेदक की श्रेणी से विशेष की श्रेणी में पहुंचाएगा।
उत्तरदायित्वों को पेश करें
अपना रिज्यूमे तैयार करने का एक बढ़िया तरीका है कि आप शब्दों का चयन चतुराई से करें। यहां तक कि जब आप अपने कार्य उत्तरदायित्वों की बात करें तो उन्हें ऐसे पेश करें कि वे आपकी सफलताएं नजर आएं। मिसाल के तौर पर..
पहले: उत्तरी क्षेत्र में सेल्स की जिम्मेदारी।
अब: समूचे उत्तरी क्षेत्र के सेल्स प्रमुख।
देखिए कैसे ‘जिम्मेदारी’ की जगह ‘प्रमुख’ क्रिया का इस्तेमाल करते ही रिज्यूमे आपकी जो छवि बनाता है, उसमें कितना अंतर दिखाई देने लगा है। अगर एक रिज्यूमे में सिर्फ आपके उत्तरदायित्वों का ही जिक्र होता है तो किसी भी कंपनी को यह बिल्कुल समझ में नहीं आता कि आप असल में करते क्या थे! साथ में उन्हें बमुश्किल ही पता चल पाता है कि आप उनके लिए क्या कर सकते हैं। इस बात का खास ख्याल रखें कि अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों को बताने के लिए दमदार क्रिया-शब्दों जैसे लेड, इनीशिएटेड, स्पीयरहेडेड, कंट्रोल्ड, एक्सेलरेटेड, अटेंड, कॉन्सेप्चुलाइज्ड, कंडक्टेड, डिवाइस्ड, डायरेक्टेड, ड्राफ्टेड, एक्जीक्युटेड, एन्हैंस्ड, एस्टेब्लिश्ड आदि का इस्तेमाल करें। इन शब्दों के माध्यम से आपकी छवि एक सक्रिय कर्मचारी की बनेगी और कंपनी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जब आप यह कहेंगे कि आपको क्या हासिल हुआ, बजाए इसके कि आप क्या संभालते थे तो आपकी छवि एक उत्तरदायी और पहल करने वाले कर्मचारी के रूप में बनेगी, न कि सिर्फ ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो केवल दिया हुआ काम ही पूरा करता है। जिम्मेदारियों के बारे में बताएं
किसी कंपनी को यह बताना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अपने काम को कितने अच्छे तरीके से संभालते हैं। इसके लिए भी आपको ‘रिस्पॉन्सिबल फॉर’ से कुछ अधिक कहना होगा, जैसे..
पहले: कंपनी में एमआईएस इंटरफेस की जिम्मेदारी।
अब: नए मार्केट्स की तलाश और क्लाइंट्स को बेहतर सेवा देने के लिए एमआईएस के साथ तकनीकी तरक्की के लिए कार्य (इंटरफेस)।
पहले जो रिज्यूमे में लिखा गया है, उससे कंपनी के दिमाग में यह बात स्पष्ट नहीं होती कि आप कितने प्रभावी तरीके से अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, वहीं दूसरे मामले में ‘इंटरफेस’ शब्द ने आपको एक सक्रिय आवेदक के रूप में प्रस्तुत किया है। इस तरह किसी भी कार्य के साथ जुड़ने ने यह दिखा दिया है कि आपका इसमें क्या योगदान रहा और यही आपकी सफलता भी है। साथ ही इससे कंपनी को यह भी समझ में आ गया कि भविष्य में आप किस प्रकार से उन्हें योगदान दे सकते हैं। दरअसल हम एक बेसिक रिज्यूमे में अपने संपर्क की जानकारी, अपना उद्देश्य, अपने बारे में जानकारी, कार्यानुभव, अतिरिक्त गतिविधियां और दूसरी जानकारी देने में काफी जल्दबाजी करते हैं। हम अक्सर ऐसी जगह आकर रुक जाते हैं, जहां हमें वास्तव में अपनी वर्तमान कंपनी में अपने योगदान का जिक्र करना चाहिए। एक दमदार रिज्यूमे का मुख्य तत्व ‘प्रमाण’ होता है। प्रमाण इस बात का कि आपने रिज्यूमे में जो कुछ भी कहा है, आप उसकी इज्जत रखेंगे - और यह प्रमाण आपके वाइटल स्टेटस में होता है, जिसमें तथ्य व आंकड़े या परिणाम दर्शाने वाले कथन होते हैं। ये सब आपके वर्तमान कार्य को दर्शाते हैं व आपको एक सफल व कार्य करने के इच्छुक कर्मी के रूप में साबित करते हैं।
अपना रिज्यूमे तैयार करने का एक बढ़िया तरीका है कि आप शब्दों का चयन चतुराई से करें। यहां तक कि जब आप अपने कार्य उत्तरदायित्वों की बात करें तो उन्हें ऐसे पेश करें कि वे आपकी सफलताएं नजर आएं। मिसाल के तौर पर..
पहले: उत्तरी क्षेत्र में सेल्स की जिम्मेदारी।
अब: समूचे उत्तरी क्षेत्र के सेल्स प्रमुख।
देखिए कैसे ‘जिम्मेदारी’ की जगह ‘प्रमुख’ क्रिया का इस्तेमाल करते ही रिज्यूमे आपकी जो छवि बनाता है, उसमें कितना अंतर दिखाई देने लगा है। अगर एक रिज्यूमे में सिर्फ आपके उत्तरदायित्वों का ही जिक्र होता है तो किसी भी कंपनी को यह बिल्कुल समझ में नहीं आता कि आप असल में करते क्या थे! साथ में उन्हें बमुश्किल ही पता चल पाता है कि आप उनके लिए क्या कर सकते हैं। इस बात का खास ख्याल रखें कि अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों को बताने के लिए दमदार क्रिया-शब्दों जैसे लेड, इनीशिएटेड, स्पीयरहेडेड, कंट्रोल्ड, एक्सेलरेटेड, अटेंड, कॉन्सेप्चुलाइज्ड, कंडक्टेड, डिवाइस्ड, डायरेक्टेड, ड्राफ्टेड, एक्जीक्युटेड, एन्हैंस्ड, एस्टेब्लिश्ड आदि का इस्तेमाल करें। इन शब्दों के माध्यम से आपकी छवि एक सक्रिय कर्मचारी की बनेगी और कंपनी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जब आप यह कहेंगे कि आपको क्या हासिल हुआ, बजाए इसके कि आप क्या संभालते थे तो आपकी छवि एक उत्तरदायी और पहल करने वाले कर्मचारी के रूप में बनेगी, न कि सिर्फ ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो केवल दिया हुआ काम ही पूरा करता है। जिम्मेदारियों के बारे में बताएं
किसी कंपनी को यह बताना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अपने काम को कितने अच्छे तरीके से संभालते हैं। इसके लिए भी आपको ‘रिस्पॉन्सिबल फॉर’ से कुछ अधिक कहना होगा, जैसे..
पहले: कंपनी में एमआईएस इंटरफेस की जिम्मेदारी।
अब: नए मार्केट्स की तलाश और क्लाइंट्स को बेहतर सेवा देने के लिए एमआईएस के साथ तकनीकी तरक्की के लिए कार्य (इंटरफेस)।
पहले जो रिज्यूमे में लिखा गया है, उससे कंपनी के दिमाग में यह बात स्पष्ट नहीं होती कि आप कितने प्रभावी तरीके से अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे, वहीं दूसरे मामले में ‘इंटरफेस’ शब्द ने आपको एक सक्रिय आवेदक के रूप में प्रस्तुत किया है। इस तरह किसी भी कार्य के साथ जुड़ने ने यह दिखा दिया है कि आपका इसमें क्या योगदान रहा और यही आपकी सफलता भी है। साथ ही इससे कंपनी को यह भी समझ में आ गया कि भविष्य में आप किस प्रकार से उन्हें योगदान दे सकते हैं। दरअसल हम एक बेसिक रिज्यूमे में अपने संपर्क की जानकारी, अपना उद्देश्य, अपने बारे में जानकारी, कार्यानुभव, अतिरिक्त गतिविधियां और दूसरी जानकारी देने में काफी जल्दबाजी करते हैं। हम अक्सर ऐसी जगह आकर रुक जाते हैं, जहां हमें वास्तव में अपनी वर्तमान कंपनी में अपने योगदान का जिक्र करना चाहिए। एक दमदार रिज्यूमे का मुख्य तत्व ‘प्रमाण’ होता है। प्रमाण इस बात का कि आपने रिज्यूमे में जो कुछ भी कहा है, आप उसकी इज्जत रखेंगे - और यह प्रमाण आपके वाइटल स्टेटस में होता है, जिसमें तथ्य व आंकड़े या परिणाम दर्शाने वाले कथन होते हैं। ये सब आपके वर्तमान कार्य को दर्शाते हैं व आपको एक सफल व कार्य करने के इच्छुक कर्मी के रूप में साबित करते हैं।
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