सोना से
प्रेम करने वाले करोड़ों भारतीयों के लिए बुरी खबर है। केंद्रीय सीमा
शुल्क एवं उत्पाद बोर्ड (सीबीईसी) ने गैर-ब्रांडेड आभूषणों पर बढ़े हुए
उत्पाद शुल्क को वापस लेने से साफ मना कर दिया है। बजट में प्रणब मुखर्जी
ने इन आभूषणों पर 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की है। वहीं इसको
लेकर देश भर में आभूषण विक्रेताओं का विरोध लगातार जारी है।
सीबीईसी
अध्यक्ष एस के गोयल ने कहा कि वर्ष 2012-13 के बजट में शुल्क बढ़ोत्तरी के
प्रस्ताव को वापस नहीं लिया जाएगा। इस बारे में जल्द ही स्पष्टीकरण जारी
किया जाएगा। उन्होंने बजट में 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने के प्रस्ताव को
जायज ठहराते हुये कहा कि संसाधन जुटाने के लिए ऐसे कदम उठाने जरूरी हैं।
बजट में किए गए प्रावधानों के मुताबिक भारत में जहां सोना महंगा हो जाएगा,
वहीं थाइलैंड से सस्ते में आएगा।
गौरतलब
है कि बजट में बिना ब्रांड के आभूषणों पर 1 फीसदी कर लगाये जाने से लाखों
सर्राफा व्यापारी परेशान है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने इस बढोतरी को
वापस नहीं लिया तो इसके खिलाफ व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
गोयल
ने गैर ब्रांडेड आभूषणों पर उत्पाद शुल्क की दर को मामूली बताते हुए कहा
कि सब्सिडी पर खर्च हुए मदों के बिलों के भुगतान के लिए संसाधनों में
बढ़ोत्तरी की सख्त जरूरत है। बजट में इस दिशा में कदमों की सख्त जरूरत थी
और सरकार को सब्सिडी मदों पर हुए खर्च के बिल के भुगतान के लिए संसाधन तो
जुटाने ही हैं।
गोयल ने कहा कि आभूषण पर प्रभावी कर की दर
को 90 रुपए प्रति ग्राम की श्रेणी में लाया जा सकता है। सरकार ने सोने पर
भी आयात शुल्क को दोगुना करके 4 फीसदी किया है। भारत दुनिया में सोने की
खपत करने वाला सबसे बडा देश है और 2011 के दौरान देश में 967 टन सोने का
आयात किया गया था।
एसोचैम की प्रत्यक्ष कर संबंधी की
राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष वेद जैन ने कहा कि यूरोपीय ऋण संकट के बावजूद
भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर है लेकिन भुगतान संतुलन पर दबाव बना हुआ है।
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